शोभा सिंह
लेखिका हिन्दी की शोद्यार्थी है।
पता, गुना, मध्यप्रदेश।
हे महिमान रसचन्द्र! बस यही विनती है तुमसे ‘महामारी के त्राण से आकुल समस्त सृष्टि को अपने अमृतघट की बूंदों से सुरक्षा कवच प्रदान करो।’
कितना बड़ा सच है जिसे चराचर जानता है कि शरद पूर्णिमा वर्ष की सुंदरतम रात्रि है जिसमें शारदीय विभा से आच्छादित समस्त चराचर जगत का सौंदर्य मनोहर हो जाता है।
सोलह कलाओं से परिपूर्ण दूधिया चंद्र अमृत की वर्षा करते हुए मोहित करता हैं कोई शुष्क हृदय ही होगा जो इसके सौंदर्य से निस्पृह रहे इसके मदिर सम्मोहन में न बिंधे।
त्रिभुवन मोहिनी राधा और लीलाधर श्रीकृष्ण ने भी इसके अनुपम रूप और झरते अमिय के सम्मोहन में बँधकर आनंद रास रचा। महारास के आनंद और उल्लास की नुपुर.ध्वनियाँ सदियों बाद अब भी सुनाई देती हैं जब शरद रात्रि में कोई सरलचित्त इसे निहारे। शरद चंद्र के अप्रतिम सौंदर्य में आकंठपूरित ये कला विधान क्या अमरता का उत्सव नही है!
लोक ने इन विशेष दिवसों की उपादेयता सिद्ध करने पर्वों लोकाचारों को रचकर चिर अमरत्व प्रदान किया है कोजागरी, महारास, शरद पूर्णिमा नाम वैविध्यपूर्ण किंतु आनंद और उल्लास से परिपूर्ण लोकविधान हैं। शरद की चाँदनी में रखी अमृतमय खीर का स्वाद जिह्वा से होकर मन मे भी मिठास घोल जाता है। रसबोध और रुचिबोध मानवीय भाव हैं लेकिन रसका मधुर स्रोत तो तुम्ही हो अंशुमान शरद पूर्णिमा अत्यंत मनोरम ऋतुसंधि का पर्व है। और क्यूँ न हो बरखा और शरद ऋतु के रसमयी सौंदर्य को श्रीकृष्ण ने अपने वेणुनाद से अभिसिंचित किया है। चन्द्र किरणों से बरसता अमृत समस्त जड़ी.बूटियों में जीवनी शक्ति भर देता है।
राकेश तुम अपनी सोलह कलाओं से वशीभूत कर लेते हो समस्त जड़ चेतन को। सप्तपर्णी, पारिजात, बेला, चमेली, कुंद आदि श्वेत सुगन्धित पुष्पों की मादक सुरभि वातावरण को अलौकिकता प्रदान कर रही है ऐसा प्रतीत होता है तुम्हारा ही शुभ्र सौंदर्य पूँजीभूत होकर इस पुष्प राशि में बिखर गया है। तुम्हारी धवल रश्मियाँ समस्त सृष्टि को नवयौवन प्रदान कर रही हैं। पूर्णिमा की उज्जवल निशा का सौंदर्य अवर्णनीय है, शरदचन्द्र की सुंदरता को निहार बेजुबान समुद्र में भी ज्वार आ जाता है तो मुझ से सरल मनुज का रीझना और भावसमुद्र में उफान आना स्वाभाविक ही है। महारास लीला के समान तुम्हारा सौंदर्य अध्यात्म की श्रेष्ठतम भावभूमि है। बस इतना जानती हूँ तुम्हारी जीवन राग से पूर्ण, लास्यमयी क्षुराधार अमृत का सेतु है।