समाज में मीडिया की भूमिका

डाॅ. प्रवीण चन्द्र त्रिवेदी

लेखक पूर्व कुलपति, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विष्वविद्यालय है
पता- 140-ए, वसुन्धरा काॅलोनी, जयपुर

समाज में मीडिया की भूमिका पर बात करने से पहले हमें यह जानना चाहिये कि मीडिया क्या है ? मीडिया हमारे चारो ओर मौजूद है, टी.वी. सीरियल व शो जो हम देखेते है, संगीत जो हम रेडियों पर सुनते है, पत्र एवं पत्रिकाएं जो हम रेाज पढ़ते है। क्योंकि मीडिया हमारे काफी करीब रहता है। हमारे चारो ओर यह मौजूद होता है तो निष्चित सी बात है इसका प्रभाव भी हमारे ऊपर और समाज के ऊपर पड़ेगा ही।
मीडिया को हम विभिन्न प्रकार से परिभाषित कर सकते है। श्री सीइलो सी गों जलिस के अनुसार- ‘‘मीडिया कला का प्रभावषाली रूप है।’’ मेने के अनुसार- ‘‘मीडिया संचार के वे साधन है जो विभिन्न प्रकार की सूचनाएं, शैक्षिक व मनोरंजक कार्यक्रम तथा समाचार आम आदमी तक पहुंचाते है उदाहरणार्थ- टीवी, रेडियो, पत्र-पत्रिकाएं, इंटरनेट आदि।
मीडिया और समाज सेवा- मीडिया के आज के दौर में विभिन्न प्रकार है जैसे इलेक्ट्राॅनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया आदि। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में विभिन्न टीवी चैनल व वेबसाइट आदि आते है। 30 जुलाई 2006 की घटना है। प्रिंस नाम का एक बालक कुरूक्षेत्र के निकट 50 फुट गहरे बोरवैल में गिर गया था। मीडिया को इसकी सूचना की गई। लगभग सभी टीवी चैनलों ने इसका प्रसारण किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि समस्त सरकारी मषीनरी हरकर में आ गई और सेना को बालक को बाहर निकालने की जिम्मेदारी सौपी गई। और सेना ने अपना दायित्व निभाया। बारीष में, खराब मौसम में प्रयास चलते रहे और लगभग 50 घंटे में वह बच्चा जीवित बाहर निकाला जा सका। यह मीडिया के प्रयासों का ही नतीजा है कि वह बच्चा सकुषल अपने माता-पिता से पुनः मिल सका। सिर्फ इतना ही नहीं, इसके बात एक निजी टीवी चैनल ने प्रिंस की लिखाई-पढ़ाई का पूरा जिम्मा अपने ऊपर ले लिया क्योंकि पिं्रस के माता-पिता काफी गरीब थे। इस प्रकार मीडिया ने समाज सेवा का एक अनूठा उदाहरण पेष किया।
एक अन्य घटना जयपुर की है जहां एक बुढिया मां को उसके अपने ही बच्चों ने तिरस्कृत जीवन जीने को बाध्य कर रखा था। किसी प्रकार एक निजी चैनल के हाथ वह टेप लग गया जिसमें उस मां के साथ उसके बच्चे ही अमानवीय बर्ताव कर रहे थे। निजी चैनल ने उसका प्रसारण करके उस महिला को एक अच्छा रास्ता दिखलाया।
राष्ट्र को बनाने और बिगाड़ने में सक्षम – मीडिया में वह शक्ति है कि वह बड़े से बड़े तानाषाहों, सरकारों व शासक को हिला कर रख सकता है। पाकिस्तान जैसे देष में जहां प्रेम को आजादी तक नहीं हैं वहां पर भी वहां के एक निजी चैनल जियो टीवी व कुछ अन्य चैनलों ने मिलकर राष्ट्रपति परवेज मुषर्रफ की भूले हिला कर रखी थ। मुषर्रफ द्वारा बर्खास्त किए गए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीष श्री इफितष्वार चैधरी दोबारा पदासीन हो सकते थे। विष्व के अनेक देषों में मीडिया की शक्ति व जागरूकता के कारण वहां के शासक डरे रहते है।
मीडिया और जागरूकता- मीडिया समाज को जागरूक करने का भी कार्य करता है। उदाहरणार्थ हम टीवी, रेडियो, अखबार व अन्य स्थानों पर कई विज्ञापन व जानकारी देखेते है- स्वच्छता अभियान, एडस से बचाव, छोटा-परिवार-सुखी परिवार, दहेज एक श्राप है, मारोगे अगर कन्या को तो बहु कहां से लाओगे इत्यादि। इस सबका हमारे समाज पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हर रोज हम ये बातें देखते व सुनते है। अगर हम मेंसे आधे लोग भी इससे षिक्षा ले लें और बातो के सही अर्थ को समझ ले तो समाज को उक्त विषय में जागरूक करने के लिए काफी है व इसका समाज पर एक अच्छा प्रभाव पड़ेगा। हमारे समाज में व्याप्त रूढ़ियों से बचने के लिए मीडिया भी कभी पीछे नहीं रहता।
मीडिया और अष्लीलता – एक ओर तो समाज को जागरूक करने व उसमें फैली बुराइयों और रूढ़ियों आदि को समाप्त करने के लिए मीडिया का प्रयोग होता है, वहीं दूसरी ओर गलत अर्थो में अष्लील चीजें दिखाने, छापने आदि में भी इसका प्रयोग हो रहा है।
इंटरनेट जो कि मास मीडिया का ही एक रूप है का अष्लीलता फैलाने में काफी प्रयोग किया जा रहा है। कई अष्लील वेबसाइट भी बाजार में है। अष्लीलता से भरी पत्रिकाएं बाजा में धडल्ले से बिक रही है। विभिन्न टी.वी. चैनल व पत्रिकाएं इस दौड़ में काफी आगे है। युवा लोगों के मस्तिष्क पर इसका प्रभाव बुरा पड़ता है। सरकार को जागरूकता के साथ ऐसी सभी सामग्री एवं चैनलों पर बैन लगाना चाहिए।
मीडिया का दुरूपयोग – कुछ लोग मीडिया का दुरूपयोग अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए भी कर रहे है जिससे कभी समाज का अहित भी हो सकता है। कई बार राजनीतिक दल किसी घटना विषेष को अपन निजी स्वार्थ को प्राप्त करने हेतु मीडिया में उछाल देते है, जिसके कारण कई बारे दंगे भड़क उठते है। भारत में इसी वजह से अब सरकार को समय≤ बुरी घटनाओं को रोकने के लिए व अफवाओं से बचने के लिए इंटरनेट की सेवा बंद करनी पड़ती है।
मीडिया और महिलाएं – महिलाओं में एक भावना पाई जाती है ग्लैमरस और माॅडलो जैसा दिखने की। कई बार तो उनकी कार्बनकाॅपी बनने के लिए वे ऐसे तरीके अपनाती है कि तरीकों का दुष्प्रभाव उनके शरीर पर पड़ता है। मीडिया कई बार अवास्तविक शरीर मापदंडो व झूठी बातों का प्रचार और प्रसार कर देती है। मीडिया कई ऐसी दवाओं व अन्य चीजो का भ्रामक प्रचार करता है जिनके प्रयोग से शरीर के अंग प्रभावित होते है। उनके साइड-इफेक्ट्स काफी होते है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर इन सबका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
चुनाव नतीजे और मीडिया – चुनावों से पहले व चुनावों के दौरान मीडिया चुनाव सर्वेक्षणों के नतीजे दिखाता है जो चुनावी नतीजे लहर के विपरित होते है। लेकिन चूंकि सर्वेक्षण के नतीजे लोग देखते है तो लोग उनके प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाते है। कई बार ये पासा पलट भी देते है। कई बार राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए भी इनका प्रयोग करते है।
मीडिया और षिक्षा-साक्षरता – मीडिया ने षिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है। विभिन्न वेबसाइटों व टी.वी. चैनलों पर षिक्षा संबंधी कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते है। साथ ही समाज को साक्षर बनाने के लिए विभिन्न तरीके अपनाये जाते है। प्रौढ़ षिक्षा निदेषालय अनपढ़ व्यक्तियों को पढाने के लिए टी.वी. पर अपने कार्यक्रमों को प्रसारित करता है। ये कार्यक्रम इतने मनोरंजक होते है कि अनपढ़ व्यक्ति बड़े ही चाव से लिखना पढ़ना सीखते है।
आज इन्टरनेट की बजट षिक्षा क्षेत्र में अभुतपूर्व क्रांति आ गयी है। ई-बुक्स, ई-जरनेल्स गुगल पर हर विषय की आदयतन जानकारी उपलब्ध है। विष्व बहुत छोटा हो गया है। संचार क्रांति की वजह से ज्ञान का संचार दूरस्थ स्थानों तक भी सुगम हो गया है। बच्चे इन्टरनेट का उपयोग कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करते है। विडियों क्राॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से दूरस्थ स्थानों तक भी एक अध्यापक अपना ज्ञान का संचार कर रहा है। व छात्रों से संवाद कर उनकी जिज्ञासाओं का हल बता रहा है।
इस प्रकार हमने देखा है कि मीडिया ने समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। यदि मीडिया समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए सत्य की राह पर है तो उस समाज ओर राष्ट्र का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है लेकिन अगर दुर्भाग्यवष मीडिया ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को नजर अंदाज करते हुए असत्य की राह पकड़ ली लो समाज व राष्ट्र का नारा तय है।

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