डॉ अजय जोशी
लेखक व्यंग्यकार एवं संपादक, मरू नवकिरण है। पता – बिस्सों का चौक, बीकानेर
हम ऑफिस में मेज पर सर टिकाए हुए थे। कब आंख लगी और कब ज्ञानीबाबा हमारे सपने में आ गए, पता ही नही चला। बाबा बोले – लो खुश हो जाओ तुम्हारी समस्या का समाधान हो गया।हमने सोचा आज बाबा कौनसी समस्या की बात कर रहे हैं। हम तो वर्षों से ‘समस्या ही समस्या’ की स्थिति में फंसे हुए है। एक समस्या हल होती नही की चार आकर खड़ी हो जाती है।
हमने कहा – बाबा आप किस समस्या की बात कर रहे हैं।हमारे सामने तो समस्याओं का अंबार है। किसका समाधान हो गया।
बाबा बोले- तुम्हारी नींद की समस्या का समाधान हो गया।तुम कहते थे न कि तुमको कोई चैन से सोने नही देता अब चाहे तुमको घर वाले भले ही तुम्हारी नींद उड़ा दे लेकिन तुम अपने आफिस में चैन की नींद सो सकोगे।
हमने कहा – बाबा आफिस में चैन की नींद? वहां नींद तो बहुत आती है लेकिन लेनी चुपके से ही पड़ती है।बॉस और साथ वाले कर्मचारियों की नज़रों से बच कर अपनी कुर्सी पर ही सोना पड़ता है।सच कहें बाबा बॉस की डांट फटकार और सहकर्मियों द्वारा हंसी उड़ाने, शिकायत करने आदि की संभावनाओं के बीच भी बड़ी मस्त नींद आती है। उस समय एक झपकी भी एक लाख रुपये कीमत की जान पड़ती है। बाबा, इस चुराए हुए समय की नींद का आनन्द ही कुछ और होता है। आपने तो सरकारी ऑफिस में और कई बार कुछ प्राइवेट आफिसों में इस तरह नींद निकालते ‘झेरियां’ खाते लोगों को देखा ही होगा।
बाबा बोले- हाँ देखा है अब उनको और तुमको चुपके से और अफसर की डांट की चिंता किये बगैर आफिस में आराम से सोने का मौका मिलेगा। नियोक्ता लोग खुद तुम अच्छी नींद ले सको इसकी समुचित व्यवस्था करेंगे।तुमको सोते हुए कोई डिस्टर्ब नही करेगा।
– बाबा मजाक करने के लिये हम ही मिले क्या।
– मैं मजाक नही कर रहा सच कह रहा हूँ।जापान में कंपनियों के नियोक्ताओं द्वारा अपने कर्मचारियों के सोने के लिए बाकायदा आरामदायक पलंग बिस्तर और शांत वातावरण में सोने का इंतज़ाम किया जाने लगा है। वो चाहते हैं कि उनके कर्मचारी कम से कम सात घण्टे साउंड स्लीप ले सके।वो अपने कर्मचारियों को सोने के लिए प्रेरित करने हेतु कई तरह के इंसेंटिव भी देते हैं।
बाबा की बाते हमें सपने में भी ‘सुंदर सपने’ के समान लगी।
हमें लगा कि एक बढ़िया सा कमरा है जिसमे एक आरामदायक पलंग लगा हुआ है बढ़िया से गद्दे चद्दर आदि लगे हुए हैं। कमरे में नाइट लेम्प जल रहा है बढ़िया सी लोरी वाला “आ जा री निंदिया आ जा” गीत सुरीले संगीत के साथ चल रहा है। मध्यम रोशनी है। हम निंदिया रानी की गौद में सर रखे हुए है। गहरी नींद आ रही है खर्राटे भी खूब ले रहे हैं।
– बाबूजी उठो, साहब बहुत देर से आपको आवाज लगा रहे है । मुझे कहा है कि बाबूजी को झंझोड़ कर नींद से जगाओ, फिर भी नही उठे तो उस पर बाल्टी भर पानी डाल देना और तुरन्त मेरे पास भेज देना।दिन भर आफिस में सोता रहता है।आज तो इसको सस्पेंड करना ही पड़ेगा।
बाबूजी साहब आज बहुत गुस्से में है। बच के रहना ,आज आपकी खैर नही है। यह कहते हुए हमारा चतुर्थ श्रेणी अधिकारी ने हमे गहरी नींद में से उठा कर चला गया।
हम हड़बड़ा कर उठे। जब सारा प्रकरण याद आया तो बरबस मुहं से निकल पड़ा – काश! हम भी जापान में नोकरी कर रहे होते।