डॉ. टी. के. जैन
लेखक सामाजिक उद्यमिता और सामाजिक विकास के लिए कार्यरत है। पता–गोगागेट के बाहर, बीकानेर
बदलते जमाने के साथ जमाने में नयी चुनौतियां आ रही है। क्या किसी ने सोचा था की यूनियन कार्बाइड जैसी कम्पनियाँ आएँगी जो हजारों निर्दोष लोगों की मौत के बाद भी कुछ नहीं करेंगी। या वल्र्डकॉम जैसी कम्पनियाँ आएँगी और करोड़ों का घोटाला करेगी। आज तो हालत इतनी खराब हो गयी है की इंसान के लोभ ने देश, पर्यावरण, समाज, और इस पूरी दुनिया को बर्बाद कर दिया है। हर तरफ इंसान के कारण परेशानी नजर आ रही है। हर प्राणी इंसान के कारनामों की सजा भुगत रहा है। समुद्र में मछलियां खत्म हो गयी है, नदियों से पानी सूख गया है, पहाड़ों के पहाड़ गायब हो गए हैं और जंगलों में आग लगी है। इंसान के बढ़ते प्रयासों का परिणाम पूरा ब्रह्माण्ड भुगत रहा है। जिसको तरक्की कह रहे हैं वो असल में सबसे बड़े विनाश की तैयारी है। क्या पता कब इस दुनिया से जीवन गायब हो जाए।
केडबरी कमिटी, कोटक कमिटी, नारायण मूर्ति कमिटी और अन्य समितियों ने सुझाव दिया की किसी तरह कंपनियों को अच्छा प्रबंधन मिले। उन्होंने कहा की कंपनियों में ज्यादा जिम्मेदार लोग आएंगे तो काम अच्छा होगा। पर ये कैसे होगा ? कोई नहीं जानता था। आज भी कॉर्पोरटे गवर्नेंस नामक एक बहुत बड़ी चुनौती हम सबके सामने हैं। बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ इंसान की बढ़ती महत्वकांशा के कारण आज जीवन मूल्यों को नजर अंदाज कर रही है और उनके गलत निर्णयों का प्रभाव पुरे समाज पर पड़ रहा है।
क्या हो सकता है समाधान। गांधी जी का ट्रस्टीशिप का सिद्धांत। इन सब समस्याओं का समाधान है। ये वो विचार है जो आज हर व्यक्ति और हर कंपनी को अपनाना चाहिए। ट्रस्टीशिप का सिद्धांत ये कहता है की हम को अपने आप को सामाज का ट्रस्टी मानते हुए अपना व्यापार या उद्योग चलना चाहिए। ये एक बहुत ही प्रासंगिक बात है। इस बात को लागू करने वाले लोगों ने समाज और देश के कल्याण के लिए काफी काम किये हैं। हम देख सकते हैं की किस प्रकार साराभाई, बजाज, और अन्य उद्योगों ने गाँधी जी की बात मान कर अपने काम करने के तरीके को बदल दिया और आज भी वे कम्पनियाँ अपनी कार्यप्रणाली के लिए जानी जाती है।
गाँधी जी ने भारतीय दर्शन और जीवन मूल्यों को अपने जीवन में भी उतारा और हम लोगों के लिए व्यवहारिक सिद्धांत भी दिए। उन्होंने ट्रस्टीशिप की बात में भारतीय जीवन मूल्यों को व्यावहारिक स्वरुप में हमारे सामने रखा है जिसको अपना कर हम अपने जीवन को सुधार सकते हैं और जीवन में एक सही रास्ता अपना सकते हैं।
आज हर बिजनेस स्कुल अपने प्रबंध के पाठ्यक्रम में गांधी जी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को पढ़ा रहा है क्योंकि आज पूरी दुनिया को ये अहसास है की हम लोग विनाश की तरफ जा रहे हैं और अगर हमकांे अपनी सभ्यता को बचाना है तो हम को फिर से गाँधी जी को समझना पड़ेगा। गांधी जी के विचारों को अपनाते हुए भारत सरकार ने हाल ही में आत्मनर्भर भारत अभियान को शुरू किया है और अब ग्राम स्वराज्य को भी लागू किया जाएगा। शीघ्र ही हम भारत की नीतियों में बदलाव देखेंगे और इससे पूरी दुनिया को फायदा मिलेगा।